इस विडियो में मैने दिखाया है की मैं अपने गांव की यात्रा पूरी करके जो की उत्तराखंड में है वहाँ से दिल्ली वापस आ रहा हु।
सुबह के 6 बजे हम सभी लोग तैयार होकर गांव से दिल्ली के लिए निकल रहे थे लेकिन बाहर अँधेरा ही था। जिनके पास मोबाइल थे उन सबने उसकी लाइट चालू की और उसी रौशनी में हम सब आगे की ओर चल पड़े।
गांव के जिन रास्तों पर मैं अपने वजन और अपने बैग के साथ ठीक से नहीं चल पा रहा था वही मेरे साथी रमेश लगभगअपने वजन के बराबर बैग उठाकर पहाड़ी रास्तों पर चल रहे थे। रमेश ITBP में है और उनको देखकर एहसास हो जाता है की वहाँ पर किस तरह से एक सिपाही को तैयार किया जाता है। गांव के इन रास्तों पर चलकर पता चल जाता है की किस्मे कितना दम है।
पहाड़ी के कुछ ऊपर सड़क पर पहुंचकर कुछ राहत मिली और फिर कुछ देर के बाद सभी लोग एक दूसरे से मिले और फिर दिल्ली के सफर के लिए निकल पड़े।
गांव से आगे निकलकर धुमाकोट पहुंचने पर हम सभी ने नाश्ता किया और कुछ समय वही बिताने के बाद हम सभी दिल्ली के सफर में आगे चल पड़े।
ऊंची जगह पर पहुंच कर देखने से पहाड़ों की सुंदरता का पता चलता है। जैसा की मैंने नीचे फोटो में दिखाया है।
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